आज हम जानेंगे की सार्क/दक्षेस क्या है? सार्क/दक्षेस की स्थापना कब हुई? इसका मुख्यालय कहाँ है? इसके उद्देश्य और कमियाँ क्या है? SAFTA क्या है?
दक्षेस (SAARC)
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अर्थ – यह शांति द्वारा क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने के लिए दक्षिण एशियाई देशो द्वारा बनाया गया एक क्षेत्रीय संगठन है ।
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पूर्ण नाम – दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) या साउथ एशियन एसोशियन फॉर रीजनल कोऑपरेशन (सार्क)
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सार्क की स्थापना – 1985
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सार्क का मुख्यालय – काठमांडू (नेपाल)
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सदस्य देश – 8
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सार्क के सदस्य देशो के नाम-भारत , भूटान , नेपाल , मालदीव , पाकिस्तान , बांग्लादेश , श्रीलंका , अफगानिस्तान ( 2005 में 13वे सार्क शिखर सम्मलेन में अफगानिस्तान को इसका 8 वां सदस्य बनाने पर सहमति बनी )
सार्क के उद्देश्य
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दक्षिण एशियाई देशो द्वारा आपस में सहयोग और क्षेत्रीय शांति को बढ़ाने के लिए ।
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सदस्य देशो में मित्रता को बढ़ाने के लिए ।
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सदस्य देशो में युद्ध के खतरों को टालने के लिए ।
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दक्षिण एशिया के लोगों के कल्याण को बढ़ावा देने ।
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सामूहिक आत्मनिर्भरता को मजबूत करने के लिए ।
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सीमा रेखा के आर – पार मुक्त व्यापार करने के लिए ।
SAFTA ( दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार- क्षेत्र समझौता)
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2004 में 12वे शिखर सम्मलेन में दक्षेस के सदस्यों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किये ।
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1 जनवरी 2006 से ये प्रभावी हो गया ।
SAFTA के उद्देश्य –
1. इस क्षेत्र में व्यापार सम्बन्धी बाधाओं को दूर करना
2. व्यापार में लगने वाले सीमा शुल्क को कम करना ताकि अधिक उदार व्यवस्था स्थापित की जाये ।
सार्क/दक्षेस की उपलब्धियाँ
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SAFTA को बनाकर व्यापार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया।
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पर्यावरण , आर्थिक विकास और ऊर्जा आदि क्षेत्रों में सहयोग की बात की है।
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संयुक्त प्रयासों से क्षेत्र की गरीबी को कम करने की कोशिश की गयी है।
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खाद्य सुरक्षा को मजबूत किया गया है।
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शैक्षिक अवसर बढ़ाने के प्रयास किये गए है ।
सार्क/दक्षेस की कमियाँ
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सदस्य देशो में विभेदो की मौजूदगी के कारण इसे ज्यादा सफलता नहीं मिली है ।
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भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव और संघर्ष ने सार्क की संभावनाओं को गंभीर रूप से बाधित किया है।
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मुक्त व्यापार समझौते (SAFTA) के क्रियान्वयन को संतोषजनक नहीं माना गया है
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इसकी बैठके प्रति वर्ष आयोजित नहीं होती है ।
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विभिन्न देशो के बीच वीज़ा से सम्बंधित मुद्दे मौजूद है
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दक्षेस के देशो का समझना कि भारत इस क्षेत्र के छोटे देशो पर अपना दबदबा जमाना चाहता है और इनके अंदरूनी मामलो में दखल देता है इस सोच के कारण दक्षेस की एकता में कमी आती है । दक्षेस के कुछ देशो में लोकतंत्र की अस्थिरता के कारण भी दक्षेस कमजोर होता है ।