आज हम जानेंगे की वैश्वीकरण क्या है और वैश्वीकरण के प्रमुख कारण क्या है ? इसके राजनीतिक , आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव कौन कौन से है ?
वैश्वीकरण क्या है (Meaning Of Globalization in Hindi)
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विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव ।
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एक अवधारणा के रूप में वैश्वीकरण की बुनियादी बात है – प्रवाह। प्रवाह कई तरह का हो सकता है – विचारो , पूंजी , व्यक्तियों, वस्तुओ का एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में मुक्त प्रवाह ।
वैश्वीकरण के कारण
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उन्नत प्रौद्योगिकी वैश्वीकरण का सबसे मुख्य कारण माना जाता है।
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टेलीग्राफ, टेलीफ़ोन, माइक्रोचिप, इंटरनेट आदि के अविष्कारों ने विश्व के विभिन्न भागो के बीच संचार की क्रांति कर दिखाई है ।
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विचारो, पूंजी , वस्तुओ और व्यक्तियों का प्रवाह प्रौद्योगिकी के कारण बढ़ा है ।
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विश्व के लोगो में पारस्परिक जुड़ाव की भावना के कारण भी वैश्वीकरण को बढ़ावा मिला है ।
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पर्यावरण की वैश्विक समस्याओ जैसे सुनामी , जलवायु परिवर्तन आदि में अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग के कारण भी वैश्वीकरण को बढ़ावा मिला है ।
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विश्व के विभिन्न देशो में होने वाली आर्थिक घटनाओ का प्रभाव भी अन्य देश की आर्थिक स्थिति पर पड़ता है ।
वैश्वीकरण के प्रभाव
1. वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव
सकारात्मक
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वैश्वीकरण के फलस्वरूप राज्य की ताकत में इजाफ़ा हुआ है ।
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अब राज्य के हाथो में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी मौजूद है जिसके बूते राज्य अपने नागरिको के बारे में सूचनाएँ जुटा सकते है ।
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सूचनाओं के माध्यम से राज्य बेहतर तरीके से काम कर सकते है ।
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इसके कारण उनकी काम करने की क्षमता बढ़ी है ।
नकारात्मक
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वैश्वीकरण के कारण राज्य की क्षमता में कमी आई है ।
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कल्याणकारी राज्य की धारणा का स्थान अब न्यूनतम हस्तक्षेपकारी राज्य ने ले लिया है ।
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अब राज्य सिर्फ कुछेक कार्यो तक सीमित है जैसे कानून व्यवस्था बनाए रखना और नागरिको की सुरक्षा ।
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लोक कल्याणकारी राज्य की जगह अब बाजार ही आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का प्रमुख निर्धारक है ।
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वैश्वीकरण के कारण राज्यों के अपने दम पर फैसला लेने की क्षमता में कमी आई है ।
2. वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव
सकारात्मक
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वस्तुओ के व्यापार में वृद्धि हुई है ।
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आयात प्रतिबंधों में कमी आई है।
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पूंजी का प्रवाह बढ़ा है अब निवशकर्ता अपना धन किसी भी देश में निवेश कर सकते है और लाभ कमा सकते है।
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निवेश बढ़ने से रोजगार में वृद्धि हुई है जिससे देशो को आर्थिक लाभ प्राप्त हुआ है और बेरोजगारी में कमी आई है।
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व्यापार की बढ़ती दर से हर देश को बेहतन कर दिखाने का मौका मिलता है ।
नकारात्मक
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इसके कारण सरकारे कुछ जिम्मेदारियों से हाथ खीच रही है और सामाजिक न्याय के कार्यो की तरफ ध्यान नहीं दे रही जिसके कारण सरकार पर आश्रित लोगो की स्थिति ख़राब हो जाएगी ।
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इन लोगो के लिए सामाजिक सुरक्षा कवच (आर्थिक रूप से कमजोर लोगो को शिक्षा , स्वास्थ्य, नौकरी आदि सुविधाएँ सरकार द्वारा उपलब्ध करवाना) तैयार किया जाना चाहिए ताकि उन पर वैश्वीकरण के दुष्प्रभावों को कम किया जा सके ।
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कुछ अर्थशास्त्रियों ने इसे पुनः उपनिवेशीकरण कहा है ।
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इसके कारण विकसित देशो ने अपनी वीज़ा नीति के जरिए अपनी राष्ट्रीय सीमाओं को बड़ी सतर्कता से अभेद्य बनाए रखा है ताकि दूसरे देशो के नागरिक आकर कहीं उनके नौकरी धंधे न हथिया ले ।
3. वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव
सकारात्मक
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खाने – पीने एवं पहनावे में विकल्पों की संख्या में वृद्धि हुई है ।
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सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण (इसमें विभिन्न संस्कृतियाँ दूसरी संस्कृतियों की अच्छी बातो को अपनी संस्कृति में शामिल करती है जिस कारण प्रत्येक संस्कृति अनूठी बनती है) को बढ़ावा मिला है ।
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पसंद – नापसंद का दायरा बढ़ता है ।
नकारात्मक
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संस्कृतियों की मौलिकता पर बुरा असर पड़ता है ।
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संपन्न देशो की संस्कृतियाँ कम विकसित देशो की संस्कृतियों को प्रभावित कर रही है
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सांस्कृतिक समरूपता के द्वारा पश्चिमी संस्कृतियों को बढ़ावा मिला है।
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शक्तिशाली संस्कृतियाँ छोटी छोटी संस्कृतियों को समाप्ति की कगार पर ले जा रही है जैसे भारत में वसंत पंचमी से ज्यादा वैलंटाइन डे को महत्त्व दिया जा रहा है।
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सांस्कृतिक समरूपता – पश्चिमी संस्कृति का पुरे विश्व में फैलना ताकि वह वैश्विक संस्कृति का रूप ले सके ।
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मेक्डोनाल्डीकरण – इसमें विभिन्न देशो की संस्कृतियों पर पश्चिमी संस्कृति हावी हो जाती है ।