आज हम जानेंगे की भारतीय विदेश नीति के सिद्धान्त क्या है? नेहरू जी की विदेश नीति के प्रमुख उद्देश्य कौन-से है? अनुच्छेद 51 क्या है? इंडियन नेशनल आर्मी का गठन किसने किया और कब किया ? एफ़्रो-एशियाई एकता आदि ।
भारतीय विदेश नीति के सिद्धान्त
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भारतीय विदेश नीति का सिद्धान्त है की हमे अंतर्राष्ट्रीय विवादो का शांतिपूर्ण हल करना।
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अंतराष्ट्रीय मामलो मे सक्रिय भागीदारी ।
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गुटनिरपेक्षता की नीति ।
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सभी देशो की संप्रभुता का सम्मान करना ।
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उपनिवेशवाद का विरोध ।
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निःशस्त्रीकरण की नीति ।
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पंचशील समझौता ।
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संयुक्त राष्ट्र संघ मे विश्वास
भारतीय विदेश नीति – नेहरू की विदेश नीति के उद्देश्य
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संघर्ष से प्राप्त संप्रभुता को बचाए रखना ।
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क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखना ।
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तेज रफ्तार से आर्थिक विकास करना ।
अनुच्छेद 51
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 मे ‘अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के बढ़ावे’ के लिए नीति निर्देशक सिद्धांतो के हवाले से निम्न बाते कही गयी है –
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अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देंगे
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राष्ट्रो के बीच न्यायसंगत और सम्मानपूर्ण संबंधों को बनाए रखेंगे
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अंतर्राष्ट्रीय संधियों का सम्मान करेंगे
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अंतर्राष्ट्रीय विवादो को मध्यस्था द्वारा सुलझाने के लिए प्रोत्साहन देने का , प्रयास करेंगे
इंडियन नेशनल आर्मी
IMP. इंडियन नेशनल आर्मी (I.N.D.) का गठन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने किया था ।
भारत ने शीतयुद्ध के दौरान गुटनिरपेक्षता की नीति को अपनाया लेकिन कभी कभी भारत के लिए अपनी विदेश नीति मे संतुलन साधना मुश्किल साबित होता था जैसा की निम्न बातों से पता चलता है-
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1956 मे ब्रिटेन ने स्वेज़ नहर को लेकर मिस्र पर हमला किया तब – भारत ने इसका विशव्यापी विरोध किया।
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लेकिन जब 1956 मे सोवियत संघ ने हंगरी पर हमला किया तब – भारत ने इसकी निंदा नही की ।
एफ़्रो-एशियाई एकता
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एशियाई संबंध सम्मेलन – मार्च 1947 मे नेहरू की अगुवाई मे हुआ था ।
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भारत ने 1949 मे इन्डोनेशिया की आजादी संग्राम के समर्थन मे एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन किया था ।
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भारत ने दक्षिण-अफ्रीका मे जारी रंगभेद का विरोध किया ।
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एफ़्रो-एशियाई सम्मेलन 1955 मे इन्डोनेशिया के एक शहर बांडूंग मे हुआ और यही पर गुटनिरपेक्ष आंदोलन की नीव पड़ी थी ।
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गुटनिरपेक्ष आंदोलन का पहला सम्मेलन 1961 मे बेलग्रेड मे हुआ था ।