आज हम जानेंगे की भारत मे राज्यो का पुनर्गठन किस प्रकार हुआ? भारत मे आंध्रप्रदेश राज्य कैसे बना और आंध्र आंदोलन क्या था यह कब हुआ? साथ-साथ ये भी जानेंगे की राज्य पुनर्गठन आयोग कब बना इसके क्या कार्य है आदि?
भारत मे राज्यों का पुनर्गठन
औपनिवेशिक शासन के दौरान सीमाओं का निर्धारण दो तरीको से होता था –
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ब्रिटिश शासन के अधीन क्षेत्र
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रजवाड़ो के अधीन क्षेत्र
राज्यो के पुनर्गठन का आधार
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1920 के कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन मे यह बात मान ली गयी थी कि राज्यों का पुनर्गठन भाषा के आधार पर होगा ।
लेकिन निम्न कारणों से स्वतंत्रता के बाद भारतीय नेताओ ने इस मसले को स्थगित किया –
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देश के टूटने के खतरे के कारण
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अर्थव्यवस्था मे नुकसान की आशंका के कारण
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सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों से ध्यान भटकने के कारण
आंध्र आंदोलन- आंध्रप्रदेश राज्य का गठन
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राज्यों के पुनर्गठन के मसले को स्थगित करके के कारण पुराने मद्रास के तेलुगु भाषी लोगो मे विरोध भड़क उठा ।
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इनकी मांग थी कि मद्रास प्रांत के तेलुगुभाषी इलाको को अलग करके एक नया राज्य आंध्र-प्रदेश बनाया जाए ।
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आंदोलन के दौरान कांग्रेस के नेता और दिग्गज गांधीवादी, पोट्टी श्रीरामुलु अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए और 56 दिनो के बाद इनकी मृत्यु हो गयी ।
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इसके बाद आंध्रप्रदेश मे हिंसक घटनाएँ हुई ,बहुत से लोग पुलिस फाइरिंग मे घायल हुए और मारे गए, मद्रास के अनेक विधायको ने इस्तीफा दे दिया ।
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दिसंबर 1952 मे प्रधानमंत्री ने आंध्र प्रदेश नाम से अलग राज्य बनाने की घोषणा की ।
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आंध्र-प्रदेश के गठन के साथ ही देश के अनेक हिस्सो मे भी यही मांग उठने लगी ।
राज्य पुनर्गठन आयोग
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राज्य पुनर्गठन आयोग की स्थापना सन 1953 मे हुई थी।
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इसका मुख्य कार्य – राज्य की सीमांकन का कार्य करना है।
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इसने अपनी रिपोर्ट मे कहा कि राज्यों की सीमांकन का निर्धारण वहा बोली जाने वाली भाषा के आधार पर होगा ।
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1956 मे राज्य पुनर्गठन अधिनियम पास हुआ जिसके अनुसार 14 राज्य और 6 केंद्र-शासित प्रदेश बनाए गए ।
नए राज्य बने वर्ष
महाराष्ट्र, गुजरात 1960
नागालैंड 1963
हरियाणा, पंजाब 1966
हिमाचल प्रदेश 1966
मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा 1972
सिक्किम 1975
मिज़ोरम, अरुणाचल-प्रदेश 1987
गोवा 1987
उत्तराखंड, झारखंड, छत्तीसगढ़ – 2000
तेलंगाना 2014
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