आज हम जानेंगे कि नेशनल फिशवर्कर्स फोरम क्या है और इसका गठन क्यो किया गया? इस संगठन के द्वारा केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन क्यो किया आदि?
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नेशनल फिशवर्कर्स फोरम
- मछुआरो की संख्या के लिहाज से भारत का विश्व मे दूसरा स्थान है।
- सरकार द्वारा जब ‘बॉटम-ट्राऊलिंग’ (व्यावसायिक जहाजों को गहरे समुन्द्र में मछ्ली मारने की इजाज़त) से मछुआरो की आजीविका पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया।
- इसके अलावा 1980 के दशक के मध्य मे आर्थिक उदारीकरण की नीति की शुरुआत हुई।
- तब मछुआरो के स्थानीय संगठनों ने बाध्य होकर एक राष्ट्रीय मंच नेशनल फिशवर्कर्स फोरम (NFF) बनाया।
नेशनल फिशवर्कर्स फोरम (NFF) क्या है?
- नेशनल फिशवर्कर्स फोरम (NFF), जो भारत के ट्रेड यूनियन अधिनियम के तहत पंजीकृत है, भारत के राज्य स्तरीय, छोटे और पारंपरिक मछली श्रमिकों के यूनियन का एकमात्र राष्ट्रीय महासंघ है।
- NFF भारत मे मछली पकड़ने के समुदायों और इसके मूल स्रोत – मत्स्य संसाधन, जैव विविधता और प्राकृतिक पर्यावरण के जीवन और आजीविका की रक्षा के लिए लड़ता है।
- यह एक प्रमुख भागीदारी के रूप मे वर्ल्ड फोरम ऑफ फिशर्स पीपल (WFFP) के नेतृत्व मे मछली पकड़ने वाले के समुदायो के अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ा हुआ है।
- केरल के मछुआरो ने अपने हमपेशा साथियो और दूसरे राज्यों की हमपेशा महिलाओ को भी अपने साथ शामिल करने की ज़िम्मेदारी संभाली।
NFF के आंदोलन के कारण
- संगठन के बनने के बाद केरल के मछुआरो ने अपने हमपेशा साथियो और दूसरे राज्यों की हमपेशा महिलाओ को भी अपने साथ शामिल करने की ज़िम्मेदारी संभाली।
- 1997 मे नेशनल फिशवर्कर्स फोरम ने केंद्र सरकार के साथ अपनी पहली कानूनी लड़ाई लड़ी और इसमे उन्हे सफलता मिली।
- NFF की यह लड़ाई केंद्र सरकार की एक खास नीति के खिलाफ थी।
- केंद्र सरकार की इस नीति के अंतर्गत व्यावसायिक जहाजों को गहरे समुन्द्र मे मछ्ली मरने की इजाज़त दी गयी थी।
- पूरे 1990 के दशक मे NFF ने केंद्र सरकार के साथ अनेक कानूनी लड़ाइयाँ लड़ी और सार्वजनिक संघर्ष किया।
- NFF के मंच ने उन लोगो के हितो की रक्षा के प्रयास किए जो अपने जीवनयापन के लिए मछली मारने के पेशे से जुड़े हुए थे ना कि उनके, जो इस क्षेत्र मे महज़ लाभ के लिए निवेश करते है।
- सन 2002 के जुलाई मे NFF द्वारा विदेशी कंपनियो को मछली मारने का लाइसेंस जारी करने के विरोध मे राष्ट्र व्यापी हड़ताल का आवाहन किया गया।
- NFF ने परिस्थितिकी की रक्षा और मछुआरो के जीवन की रक्षा के लिए विश्वभर के समधर्मा संगठनों से हाथ मिलाया।
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