आज हम जानेंगे की वैश्वीकरण का प्रतिरोध किन किन कारणों से हो रहा है? वामपंथी और दक्षिणपंथी दल किस कारण से इसका विरोध कर रहे है? WSF क्या है इसकी पहली बैठक कब और कहाँ हुई थी? भारत मे किन कारणो से वैश्वीकरण का प्रतिरोध हो रहा है?
वैश्वीकरण का प्रतिरोध
वामपंथी
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वामपंथी राजनीतिक रुझान रखने वालो का तर्क है कि मौजूदा वैश्वीकरण धनिको को और धनी और गरीब को और ज्यादा गरीब बनती है ।
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इनका मानना है कि राज्य के कमजोर होने से गरीबो के हितो की रक्षा करने की क्षमता में कमी आई है ।
दक्षिणपंथी
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दक्षिणपंथी आलोचक इसके राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभावों को लेकर चिंतित है ।
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इन्हे राज्य के कमजोर होने की चिंता है।
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सांस्कृतिक सन्दर्भ में इनकी चिंता है कि वैश्वीकरण से लोगो की परम्परागत संस्कृति की हानि होगी ।
1999 में सिएटल में विश्व व्यापार संगठन की मंत्री-स्तरीय बैठक हुई । यहां वैश्वीकरण के विरोध में कहा गया कि इससे आर्थिक रूप से ताकतवर देशो द्वारा व्यापार के अनुचित तौर-तरीके अपनाएं है ।
WSF क्या है?
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नव-उदारवादी वैश्वीकरण के विरोध का एक विश्व व्यापी मंच वर्ल्ड सोशल फोरम (WSF)है ।
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इस मंच के तहत मानवाधिकार- कार्यकर्ता , पर्यावरणवादी, मजदूर, युवा और महिला कार्यकर्ता एक जुट होकर नव- उदारवादी वैश्वीकरण का विरोध करते है ।
भारत और वैश्वीकरण का विरोध
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वामपंथी राजनीतिक रुझान रखने वाले लोगो ने आर्थिक वैश्वीकरण के खिलाफ आवाज़ उठाई है ।
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इंडियन सोशल फोरम जैसे मंचो से भी आर्थिक वैश्वीकरण के खिलाफ आवाज़ उठाई गयी है ।
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औद्योगिक श्रमिकों और किसानो ने बहुराष्ट्रीय निगमों के प्रवेश का विरोध किया है।
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कुछ वनस्पतियो मसलन नीम को अमरीकी और यूरोपीय फर्मो ने पेटेंट (बौद्धिक सम्पदा अधिकार जिसमे कोई खोज, नवाचार इत्यादि को अपने नाम पर रजिस्टर्ड करवाना) कराने के प्रयास किये । इसका भी कड़ा विरोध हुआ।
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दक्षिणपंथी खेमे वाले लोगो ने इसके सांस्कृतिक प्रभावों का विरोध किया है ।
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