आज हम जानेंगे कि राम मनोहर लोहिया का भारतीय राजनीति मे योगदान किस प्रकार का था? उनके विचार कैसे थे? और उनके सिद्धान्त क्या थे?
राम मनोहर लोहिया- भारतीय राजनीति मे योगदान
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राम मनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को उत्तरप्रदेश मे हुआ था।
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राम मनोहर लोहिया एक समाजवादी नेता और विराचारक थे।
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ये स्वतंत्रता सेनानी और कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य भी रहे।
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1963 से 1967 तक ये लोकसभा के संसद रहे।
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ये “मैनकाइंड” और “जन” नामक पत्रिकाओ के संस्थापक और संपादक थे।
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इन्होने पिछड़े वर्गो को आरक्षण देने की वकालत की।
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जब चौथे आम चुनाव (1967) के वक्त वो दल जो विचारधारा अथवा अपने कार्यक्रम के आधार पर एक दूसरे से बिलकुल अलग थे, उन्होने एकजुट होकर कुछ राज्यो मे कांग्रेस विरोधी मोर्चा बनाया उस वक्त समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया ने इस रणनीति को गैर-कांग्रेसवाद का नाम दिया।
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इसलिए इनको गैर-कांग्रेसवाद का रणनीतिकार कहा जाता है।
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इन्होने इस रणनीति के पक्ष मे तर्क देते हुए कहा कि कांग्रेस का शासन आलोकतांत्रिक है और गरीब लोगो के हितो के खिलाफ है। इनके अनुसार गैर-कांग्रेसी दलो का एक साथ आना बहुत जरूरी था, ताकि गरीबो के हक मे लोकतंत्र को फिर से वापस लाया जा सके।
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अंग्रेजी विरोध के अलावा ये एक ऐसे राजनीतिक नेता के रूप मे चर्चित थे जिन्होने नेहरू के खिलाफ मोर्चा खोला।
राम मनोहर लोहिया और समाजवाद
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राम मनोहर लोहिया भारत में समाजवाद के मुख्य समर्थकों में से एक रहे हैं।
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उन्होंने अपने समाजवाद को लोकतंत्र से जोड़ते हुए लोकतांत्रिक समाजवाद के विचार को प्राथमिकता दी।
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लोहिया भारतीय समाज के लिए पूंजीवाद और समाजवाद दोनों को समान रूप से अप्रासंगिक मानते थे।
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लोकतांत्रिक समाजवाद के उनके सिद्धांत के दो उद्देश्य थे- खाद्य और आवास के रूप में आर्थिक उद्देश्य और लोकतंत्र और स्वतंत्रता के रूप में गैर-आर्थिक उद्देश्य।
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लोहिया ने चौबुर्जा राजनीती की वकालत की जिसमें वह राजनीति के चार स्तंभों के साथ-साथ समाजवाद की राय देते हैं- केंद्र, क्षेत्र, जिला और गांव-सभी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं ।
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सकारात्मक कार्रवाई पर विचार करते हुए लोहिया ने दलील दी कि सकारात्मक कार्रवाई की नीति केवल दलितों के लिए ही नहीं बल्कि महिलाओं और गैर-धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए भी होनी चाहिए।
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लोकतांत्रिक समाजवाद और चौबुर्जा राजनीती के आधार पर लोहिया ने सभी राजनीतिक दलों के विलय के प्रयास के रूप में ‘ समाजवाद की पार्टी ‘ का समर्थन किया।
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लोहिया के अनुसार समाजवाद की पार्टी के तीन प्रतीक होने चाहिए:-
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कुदाल [प्रयास करने के लिए तैयार]
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वोट [मतदान की शक्ति]और
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जेल [बलिदान करने की इच्छा]।