आज हम जानेंगे कि क्या आपातकाल जरूरी था? आपातकाल के पक्ष और विपक्ष मे तर्क? आपातकाल के सबक क्या थे?
Click Here-आपातकाल क्या होता है? उसके कारण क्या थे?
क्या आपातकाल जरूरी था- पक्ष मे तर्क
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सरकार का मानना था कि बार-बार धरना-प्रदर्शन और समूहिक कार्यवाही लोकतंत्र के लिए ठेक नही है।
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सरकार का कहना था कि इससे उनका ध्यान विकास के कार्यो से हट जाता है।
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भारत की एकता के विरुद्ध अंतराष्ट्रीय साजिश का रचना।
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विरोधियो द्वारा गैर-संसदीय राजनीति का सहारा लेना।
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CPI ने आपतकाल का समर्थन किया।
क्या आपातकाल जरूरी था- विपक्ष मे तर्क
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लोकतंत्र मे जनता को विरोध का अधिकार होता है।
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सरकार के विरोध मे आंदोलन ज़्यादातर समय अहिंसक और शांतिपूर्ण थे तो आपातकाल लगाने की जरूरत नही थी।
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जिन लोगो को गिरफ्तार किया गया उन पर कोई राष्ट्र-विरोधी गतिविधियो मे लिप्त रहने का मुकदमा नही चला।
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गृह मंत्रालय ने उस समय कानून व्यवस्था की चिंता जाहिर नही की।
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अगर कुछ आंदोलन अपनी हद से बाहर जा रहे थे तो सरकार अपनी रोज़मर्रा की शक्तियों का इस्तेमाल करके उनको हद मे ला सकती थी।
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आलोचक कहते है कि देश को बचाने के लिए नही बल्कि अपनी इन्दिरा गांधी ने अपनी निजी ताकत को बचाने के लिए आपतकाल लगाया।
आपातकाल के सबक
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आपातकाल के दौरान भारत लोकतांत्रिक नही रह गया था, लेकिन जल्द ही कामकाज लोकतंत्र कि राह पर लौट आया। इससे ये सबक मिलता है कि भारत से लोकतंत्र को विदा कर पाना बहुत कठिन है।
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संविधान मे आपातकाल के प्रावधान (42वे संशोधन) के अंतर्गत आंतरिक अशांति शब्द के स्थान पर सशस्त्र विद्रोह शब्द जोड़ा गया। अब आपातकाल सशस्त्र विद्रोह की स्थिति मे लगाया जा सकता है।
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इसके साथ ही यह भी सीखने को मिला कि आपातकाल की घोषणा की सलाह मंत्रिपरिषद राष्ट्रपति को लिखित मे दे।
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आपातकाल से हर कोई नागरिक अपने अधिकारो के प्रति ज़्यादा सचेत हुआ। आपातकाल के बाद नागरिक अधिकारो के कई संगठन वजूद मे आए।
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आपातकाल मे शासक दल ने पुलिस तथा प्रशासन को अपना राजनीतिक औज़ार बनाकर इस्तेमाल किया था। ये संस्थाएँ स्वतंत्र रूप से कार्य नही कर पायी।