आज हम जानेंगे की कांग्रेस के विभाजन के बाद कांग्रेस पुनर्स्थापना कैसे हुई? 1971 के चुनाव परिणाम क्यो सबको चौकाने वाले क्यो थे?
कांग्रेस के विभाजन के बाद
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विभाजन के बाद इन्दिरा गांधी की सरकार अल्पमत मे आ गयी थी।
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DMK (द्रविड़ मुनेत्र कषगम) और CPI के समर्थन के कारण इन्दिरा गांधी सत्ता मे बरकरार रही।
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1970 मे इन्दिरा गांधी की सरकार ने लोकसभा भंग करने की शिफारिश की।
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इसके चलते 1971 के फरवरी मे लोकसभा के पांचवे आम चुनाव हुए।
1971 का लोकसभा चुनाव ( कांग्रेस (O) v/s कांग्रेस (R) )
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कांग्रेस पार्टी की असली सांगठानिक ताकत कांग्रेस (ओ) मे थी।
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ग्रेंड अलायंस – इस चुनाव मे सभी बड़ी गैर-साम्यवादी और गैर कांग्रेसी विपक्षी पार्टियो ने चुनावी गठबंधन बना लिया था जिसे ग्रेंड अलायंस कहा गया।
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SSP, PSP, भारतीय जनसंघ, स्वतंत्र पार्टी और भारतीय क्रांतिदल ने एक साथ चुनाव लड़ा।
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इन्दिरा गांधी की पार्टी ने भारतीय कन्यूनिस्ट पार्टी के साथ गठजोड़ किया।
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इस चुनाव मे नयी कांग्रेस के पास एक एजेंडा और कार्यक्रम था जिसका विपक्षियों के पास अभाव था।
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इन्दिरा गांधी ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि विपक्षियों के पास बस एक ही कार्यक्रम है इन्दिरा हटाओ।
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जबकि उन्होने अपने मशहूर नारे ‘गरीबी हटाओ‘ को चुनाव प्रचार मे इस्तेमाल किया।
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उन्होने ग्रामीण भू-स्वामित्व, आय और अवसरो की असमानता की समाप्ति, प्रिवी पर्स की समाप्ति आदि मुद्दो को चुनाव प्रचार मे इस्तेमाल किया।
1971 के चुनाव परिणाम
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इस चुनाव मे कांग्रेस (आर) और सीपीआई के गठबंधन ने लोकसभा मे 375 सीटो के साथ चुनाव जीता।
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अकेले कांग्रेस (आर) को ही 352 सीटे और 44% वोट मिले।
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कांग्रेस (ओ) मे बड़े-बड़े महारथी थे फिर भी उसको मात्र 16 सीटे ही मिली।
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ग्रैंड-अलायंस को इस चुनाव मे 40 से भी कम सीटे मिली।
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अपनी भारी-भरकम जीत के साथ इन्दिरा गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस ने ये बात साबित कर दी कि वही असली कांग्रेस है।
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और इस तरह उसने भारतीय राजनीति मे अपने प्रभुत्व को फिर से पुनर्स्थापित किया।
कांग्रेस पुनर्स्थापन
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1971 के लोकसभा चुनावो मे कांग्रेस ने अपनी भारी जीत से भारतीय राजनीति मे अपने प्रभुत्व को फिर से पुनर्स्थापित किया। इसे ही कांग्रेस पुनर्स्थापना या कांग्रेस प्रणाली का पुनर्स्थापन कहते है।
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इन्दिरा गांधी ने पुरानी कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का काम नही किया बल्कि यह पार्टी इन्दिरा गांधी के हाथो नयी तर्ज पर बनी पार्टी थी।
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लोकप्रियता के स्थान पर बेशक इसने पहले वाला स्थान प्राप्त किया लेकिन यह पार्टी पूरी तरह से अपने सर्वोच्च नेता की लोकप्रियता पर आश्रित थी।
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इस पार्टी का सांगठानिक ढांचा कमजोर था।
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इस तरह इन्दिरा गांधी ने कांग्रेस प्रणाली की प्रकृति को बदलकर उसको पुनर्स्थापित किया।