कांग्रेस प्रणाली की चुनौतियाँ

आज हम जानेंगे की कांग्रेस प्रणाली की चुनौतियाँ क्या- क्या है? कांग्रेस ने 1960 के दशक मे 3 मुख्य चुनौतियों का सामना किया थे- पहली राजनैतिक उत्तराधिकार की चुनौती, दूसरी चौथे आम चुनाव के दौरान आई चुनौती और तीसरी कांग्रेस मे विभाजन की चुनौती । तो चलिये जानते है कांग्रेस प्रणाली की चुनौतियाँ क्या थी।

कांग्रेस प्रणाली की चुनौतियाँ

राजनैतिक उत्तराधिकार की चुनौतियाँ

1. 1964 मे बीमारी के चलते नेहरू जी की मृत्यु हो गयी।

कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के. कमराज ने पार्टी के नेताओ और सांसदो से परामर्श किया और पाया कि सभी लाल बहादुर शास्त्री के पक्ष मे है और इस प्रकार लाल बहादुर शास्त्री नेहरू की मृत्यु के बाद देश के प्रधानमंत्री बने। 

2. लाल बहादुर शास्त्री का शासन काल

  •  ये 1964 से 1966 तक देश के प्रधानमंत्री रहे ।

  • इस अवधी मे देश ने दो चुनौतियों का सामना किया- पहल 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध और खाद्यान संकट (मानसून की असफलता के कारण) ।

  • इन्ही चुनौतियों से निपटने के लिए उन्होने जय-जवान, जय-किसान का नारा दिया था।

  • 1965 के युद्ध की समाप्ति के सिलसिले मे 1966 मे पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान से बातचीत करने और एक समझौते पर हस्ताक्षर करने वो ताशकंद गए हुए था।

  • 1966 मे ताशकंद (वर्तमान मे उज्बेकिस्तान की राजधानी) मे उनका देहांत हो गया था।

3. शास्त्री के बाद इन्दिरा गांधी

  • शास्त्री जी की मृत्यु के बाद मोरारजी देसाई और इन्दिरा गांधी के बीच राजनैतिक उत्तराधिकार को लेकर कड़ा मुक़ाबला हुआ व अंत मे इन्दिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाया गया।

  • कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओ ने यह सोचकर इन्दिरा गांधी को समर्थन दिया कि वह अनुभवहीन है और दिशा-निर्देशों के लिए उन पर निर्भर रहेगी।

चौथा आम चुनाव, 1967 

चौथे आम चुनाव के वक्त देश मे निम्नलिखित चुनौतियाँ थी-

  • आर्थिक संकट

  • मानसून की असफलता

  • व्यापक सूखा

  • खाद्यान संकट

  • विदेशी मुद्रा भंडार मे कमी

  • निर्यात मे गिरावट

  • सैन्य खर्च मे बढ़ोतरी आदि।

गैर-कांग्रेसवाद 

  • इसी दौरान विपक्षी दलो को लगा कि इन्दिरा गांधी की अनुभवहीनता और कांग्रेस की अंदरूनी उठापटक के कारण उसको सत्ता से हटाने का ये एक बेहतर अवसर है।

  • जो दल अपने कार्यक्रम और विचारधाराओ के आधार पर एक दूसरे से अलग थे, वे एकजुट हुए और कुछ राज्यो मे कांग्रेस विरोधी मोर्चा बनाया और कुछ राज्यो मे सीटो के मामलो मे चुनावी तालमेल किया ।

  • समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया ने इसे गैर-कांग्रेसवाद का नाम दिया।

  • उन्होने गैर-कांग्रेसवाद के पक्ष मे कहा कि कांग्रेस का शासन अलोकतांत्रिक है और गरीबो के हित के खिलाफ है इसीलिए इन दलो का साथ आना जरूरी था।

चौथे आम चुनावो का परिणाम

  • इस चुनाव के परिणाम को राजनीतिक भूकंप कहा गया क्योकि स्वतंत्रता के बाद पहली बार कांग्रेस को प्राप्त वोटो और सीटो मे भारी गिरावट आई।

  • इन्दिरा गांधी के मंत्रिमंडल के आधे से ज्यादा मंत्री चुनाव हार गए थे –

कांग्रेस प्रणाली की चुनौतियाँ

  • कांग्रेस को सात राज्यो मे बहुमत नही मिला और दो राज्यो मे दलबदल के कारण वह सरकार नही बना पाई।

  • इस तरह कुल 9 राज्यो (पंजाब, हरियाणा, उत्तर-प्रदेश, मध्य-प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, मद्रास और केरल) मे कांग्रेस की सरकार नही बन पायी।

1967 के चुनावो मे गठबंधन 

  • इन्ही चुनावो मे गठबंधन की परिघटना सामने आई।

  • संयुक्त विधायक दल– क्योकि इन चुनावो मे किसी एक पार्टी को बहुमत नही मिला इसलिए अनेक गैर-कांग्रेसी दलो ने मिलकर संयुक्त विधायक दल बनाया। इनकी सरकार को संयुक्त विधायक दल की सरकार कहा गया।

  • बिहार – समाजवादी पार्टी (SSP+PSP) + वामपंथी-CPI + दक्षिणपंथी जनसंघ ने मिलकर संयुक्त विधायक दल की सरकार बनाई।

  • पंजाब मे बनी सरकार को “पॉपुलर यूनाइटेड फ्रंट”  (अकाली दल-संत ग्रुप + मास्टर ग्रुप+ CPI+ CPI-M + SSP + रिपब्लिकन पार्टी + भारतीय जनसंघ) की सरकार कहा गया।

दल बदल

  • जब कोई प्रतिनिधि किसी खास दल के चुनाव चिन्ह को लेकर चुनाव लड़े और चुनाव जीत जाए और चुनाव जीतने के बाद इस दल को छोड़कर किसी दूसरे दल मे शामिल हो जाए तो इसे दल-बदल कहते है।

  • 1967 के आम चुनावो के बाद कांग्रेस को छोड़ने वाले विधायको ने 3 राज्यो हरियाणा, मध्य-प्रदेश और उत्तर-प्रदेश मे गैर-कांग्रेसी सरकार को बहाल करने मे अहम भूमिका निभाई।

आया राम गया राम

  • चुनावो के बाद हरियाणा के एक विधायक गया लाल ने 15 दिनो के अंदर तीन बार अपनी पार्टी बदली।
  • पहले वे कांग्रेस से यूनाइटेड फ्रंट मे गए, फिर कांग्रेस मे लौटे और कांग्रेस मे लौटने के 9 घंटे के अंदर दोबारा यूनाइटेड फ्रंट मे चले गए।
  • कांग्रेस के नेता राव वीरेंद्र ने चंडीगढ़ मे प्रेस के सामने घोषणा की- “गया राम था अब आया राम है। “
  • गया लाल की इस हड़बड़ी को “आया राम गया राम” के जुमले से हमेशा के लिए दर्ज़ कर लिया गया।

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