आज हम जानेंगे की कांग्रेस का विभाजन 1969 मे कैसे हुआ था? कांग्रेस के विभाजन के क्या कारण थे और इसके क्या परिणाम हुए?
इन्दिरा बनाम सिंडीकेट – कांग्रेस विभाजन की शुरुआत
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सिंडिकेट – यह कांग्रेस के भीतर ताकतवर और प्रभावशाली नेताओ का एक समूह था। इसने इन्दिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनवाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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सिंडीकेट के नेताओ को लगता था कि इन्दिरा गांधी प्रधानमंत्री बनने के बाद उनकी सलाहों पर अमल करेगी, लेकिन इसके विपरीत इन्दिरा गांधी ने पार्टी मे अपना मुकाम बनाना शुरू कर दिया।
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इन्दिरा गांधी के सामने इस वक्त दो चुनौतियाँ थी- पहली सिंडीकेट से स्वतंत्र मुकाम बनाने की , दूसरी 1967 के चुनावो मे खोई हुई ज़मीन को वापस हासिल करना।
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1967 मे इन्दिरा गांधी ने 10 सूत्री कार्यक्रम अपनाया। उन्होने अपनी पार्टी की नीतियो को वामपंथी रंग देने की कोशिश की।
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सिंडीकेट के नेताओ ने औपचारिक तौर पर वामपंथी ख़ेमे के कार्यक्रम को स्वीकृति दे दी लेकिन उनके मन मे इसे लेकर गहरे मतभेद थे।
कांग्रेस का विभाजन 1969
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कांग्रेस का विभाजन 1969 मे तत्कालीन राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की मृत्यु के बाद राष्ट्रपति का पद खाली हो गया।
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सिंडिकेट ने इन्दिरा गांधी की असहमति के बावजूद भी तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष एन. संजीव रेड्डी को कांग्रेस की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए खड़ा किया।
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इन्दिरा गांधी ने तत्कालीन उपराष्ट्रपति वी. वी. गिरि को बढ़ावा दिया कि वे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए अपना नामांकन करे।
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उस वक्त इन्दिरा गांधी ने दो बड़े कार्य किए – 14 बैंको का राष्ट्रीयकरण , प्रिवी पर्स (यह आजादी के बाद भारत मे शामिल रजवाडो के राजाओ को दिये गए अधिकार थे जिसमे ) की समाप्ति।
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इन दोनों मुद्दो पर ही इन्दिरा गांधी और मोरारजी देसाई (उस वक्त के उपप्रधानमंत्री और वित्तमंत्री) के बीच गहरे मतभेद थे।
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उस वक्त के कांग्रेस अध्यक्ष एस. निजलिंगप्पा ने एक ‘व्हिप’ जारी किया कि सभी कांग्रेस सांसद और विधायक संजीव रेड्डी को वोट डाले।
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वी. वी. गिरि का छुपे तौर पर समर्थन करते हुए इन्दिरा गांधी ने खुलेआम अंतरात्मा की आवाज पर वोट डालने को कहा।
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राष्ट्रपति पद के चुनाव मे वी. वी. गिरि की जीत हुई।
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संजीव रेड्डी की हार से कांग्रेस कांग्रेस पार्टी का टूटना पक्का था। कांग्रेस अध्यक्ष ने इन्दिरा गांधी को अपनी पार्टी से निष्काषित कर दिया।
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इन्दिरा गांधी ने कहा कि उनकी पार्टी ही असली कांग्रेस है।
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1969 तक सिंडिकेट की अगुवाई वाली पार्टी को कांग्रेस (ऑर्गनाइज़ेशन) और इन्दिरा गांधी की अगुवाई वाली पार्टी को कांग्रेस (रिक्वीजिनिस्ट) कहा जाने लगा।
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सिंडिकेट को पुरानी कांग्रेस और इन्दिरा गांधी वाली कांग्रेस को नयी कांग्रेस कहा जाने लगा।
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