आज हम जानेंगे की हैदराबाद मणिपुर और जम्मू-कश्मीर का भारतीय संघ मे विलय किस प्रकार और कब हुआ? हैदराबाद मणिपुर और जम्मू-कश्मीर के विलय के दौरान क्या-क्या कठिनाइयाँ और दिक्कते आई?
हैदराबाद का विलय कैसे हुआ?
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हैदराबाद के शासक को निज़ाम कहा जाता था और निज़ाम अपनी रियासत को आजाद रखना चाहता था ।
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लेकिन निज़ाम ने भारत के साथ 1947 मे एक वर्ष के लिए यथा-स्थिति बहाल रखने का एक समझौता किया ।
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इसी दौरान तेलंगाना इलाके के किसान, महिलाएँ, कम्युनिस्ट और हैदराबाद कांग्रेस निज़ाम के दमनकारी शासन के खिलाफ आंदोलन करने लगे ।
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निज़ाम ने आंदोलन को दबाने के लिए रजाकारों (अर्ध-सैनिक बल) को भेजा जिन्होने वहाँ लूटपाट मचाई , हत्या और बलात्कार किए ।
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1948 के सितंबर मे निज़ाम की सेना को काबू मे करने के लिए भारतीय सेना वहाँ गयी ।
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निज़ाम ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और इस प्रकार हैदराबाद का भारत मे विलय हो गया।
मणिपुर का भारतीय संघ मे विलय कैसे हुआ?
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मणिपुर की कांग्रेस चाहती थी कि ये रियासत भारतीय संघ मे मिले जबकि दूसरी राजनीतिक पार्टियाँ इसके खिलाफ़ थी ।
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मणिपुर की निर्वाचित विधानसभा के परामर्श के बिना ही भारत सरकार ने महाराजा पर दबाव डालकर भारतीय संघ के विलय पत्र पर हस्ताक्षर करा लिए ।
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मणिपुर की आंतरिक स्वायत्ता बनी रहेगी इस आश्वासन के साथ वहाँ के राजा बोधचंद्र सिंह ने भारतीय संघ मे अपनी रियासत के विलय के सहमति पत्र (इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन) पर हस्ताक्षर किए ।
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जनता के दबाव मे 1947 के जून मे महाराजा ने मणिपुर मे चुनाव करवाए और इस चुनाव के फलस्वरूप वहाँ संवैधानिक राजतंत्र कायम हुआ ।
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IMP.– मणिपुर भारत का पहला भाग है जहाँ सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के सिद्धान्त को अपनाकर चुनाव हुए ।
जम्मू-कश्मीर का भारतीय संघ मे विलय कैसे हुआ?
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1947 से पहले कश्मीर मे राजशाही (राजा- हरी सिंह) थी।
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अक्टूबर 1947 मे पाकिस्तान ने क़बायली घुसपैठियों को कश्मीर पर कब्जा करने भेजा । (क्योकि इनका मानना था कि कश्मीर पाकिस्तान से संबंधित है , क्योकि राज्य की ज़्यादातर आबादी मुस्लिम है)
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ऐसे मे कश्मीर के राजा भारतीय सेना से मदद मांगने को मजबूर हो गए ।
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भारत ने सैन्य मदद उपलब्ध करवाई और कश्मीर से घुसपैठियों को खदेड़ दिया लेकिन इससे पहले भारत सरकार ने महाराजा से भारतीय संघ मे विलय पत्र पर हस्ताक्षर करवा लिए ।
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कहा गया कि स्थिति सामान्य होने पर जम्मू-कश्मीर की नियति का फैसला जनमत सर्वेक्षण द्वारा किया जाएगा ।
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साथ ही भारत इसकी स्वायत्ता को बनाए रखने पर सहमत हो गया और इसे संविधान मे धारा 370 का प्रावधान करके संवैधानिक दर्जा दिया गया ।