आज हम भारतीय राजनीति: प्रवृतियाँ-विकास के बारे मे जानेंगे। साथ-साथ 1989 के बाद शुरू हुई गठबंधन की राजनीति, राष्ट्रीय मोर्चा, संयुक्त मोर्चा, NDA-I,II,III,IV और UPA-I,II के बारे मे चर्चा करेंगे।
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भारतीय राजनीति: प्रवृतियाँ-विकास– 1989 मे गठबंध का युग
- 1989 के चुनावो मे कांग्रेस को मात्र 19 सीटे ही मिली और वह चुनाव हार गयी।
- इस चुनाव मे कांग्रेस की हार का मतलब यह नही था किसी दूसरी पार्टी को इस चुनाव मे बहुमत मिल गया।
- कम बहुमत होने के कारण कांग्रेस ने इस बार विपक्ष मे बैठने का फैसला किया।
- 1989 के चुनावो के बाद गठबंधन का युग शुरू हो गया।
- और 1989 मे राष्ट्रीय मोर्चे की एक गठबंधन सरकार बनी।
राष्ट्रीय मोर्चा
- इसका गठन 1989 मे हुआ था।
- राष्ट्रीय मोर्चे मे जनता दल और कई अन्य क्षेत्रीय दल शामिल थे।
- संयुक्त मोर्चे की सरकार को भाजपा और वाम मोर्चे ने समर्थन दिया।
- 1989 मे वाम मोर्चा और बजपा दोनों ने राष्ट्रीय मोर्चा सरकार को समर्थन दिया क्योकि वे कांग्रेस को सत्ता से बाहर रखना चाहते थे।
संयुक्त मोर्चा
- इसका गठन 1996 मे हुआ।
- यह 1989 के राष्ट्रीय मोर्चे के ही समान था क्योकि इसमे जनता दल और कई अन्य क्षेत्रीय दल शामिल थे।
- लेकिन इसको भाजपा ने समर्थन नही दिया।
- 1996 मे वाम मोर्चे ने गैर कांग्रेसी सरकार को अपना समर्थन जारी रखा, लेकिन संयुक्त मोर्चे को कांग्रेस का समर्थन हासिल था।
- इसका कारण था कि इस बार कांग्रेस और वाममोर्चा दोनों कि भाजपा को सत्ता से बाहर रखना चाहते थे।
11वी लोकसभा (1996-1998)
- 1996 मे संयुक्त मोर्चे की सरकार बनी। जिसमे एच. डी. देवगौड़ा जी को प्रधानमंत्री बनाया गया।
- अप्रैल 1997 मे ही कांग्रेस नेता सीताराम केसरी ने देवगौड़ा की संयुक्त मोर्चे की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया।
- इसके बाद इंद्र कुमार गुजराल (1997 से 1998) ने संयुक्त मोर्चा गठबंधन सरकार के प्रधानमंत्री के लिए सर्वसम्मति से देवगौड़ा जी की जगह ली।
- मार्च 1998 मे, कांग्रेस पार्टी ने संयुक्त मोर्चा सरकार से समर्थन वापस ले लिया।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग)- National Democratic Alliance (NDA)
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) – I
- 1998 के 12वे लोकसभा चुनाव मे कुल 543 सीटे थी जिसमे भाजपा को 182 सीटो पर जीत हासिल हुई।
- कांग्रेस इस चुनाव मे 141 सीटो के साथ दूसरे नंबर पर थी।
- भाजपा को इस चुनाव मे बहुमत नहीं मिला था तो उसने क्षेत्रीय दलो के साथ मिलकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का गठन किया।
- पहली बार जब 1989 मे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनी तो उसको की NDA-1 कहा जाता है।
- इस गठबंधन मे भाजपा प्रमुख पार्टी है।
- इसकी अवधि 1998 से 1999 (12वीं लोकसभा) है।
- NDA-I मे अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने। इन्होने दूसरी बार प्रधानमंत्री के रूप मे शपथ ली।
- एक क्षेत्रीय अन्नाद्रमुख के समर्थन वापस लेने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी जी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।
- इसके बाद NDA-I की सरकार अल्पमत मे आ गई, और बहुमत साबित करने के लिए जब फ्लोर टेस्ट (फ्लोर टेस्ट एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जिससे फैसला किया जाता है कि, वर्तमान सरकार या मुख्यमंत्री के पास पर्याप्त बहुमत है या नही है ) करवाया गया तो NDA को बस एक वोट से हार का सामना करना पड़ा।
- इस टेस्ट मे ओडिशा के एक सांसद डॉ. गिरिधर ने एनडीए के खिलाफ वोट दिया।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) – II
- 1999 के 13वे लोकसभा चुनाव मे कुल 543 सीटे थी जिसमे भाजपा को 182 सीटे मिली।
- कांग्रेस इस चुनाव मे 114 सीटो के साथ दूसरे नंबर पर थी।
- अटल बिहारी वायपेयी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप मे शपथ ली।
- NDA-II की अवधी अक्टूबर 1999 से मई 2004 तक की थी।
- पहली बार भारतीय राजनीति मे किसी गैर-कांग्रेसी गठबंधन ने अपना निर्धारित कार्यकाल पूरा किया।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) – III
- 2014 के 16वे लोकसभा चुनाव मे कुल 543 सीटो मे से भाजपा को 282 सीटे मिली।
- कांग्रेस को इस चुनाव मे मात्र 44 सीटे मिली।
- 1984 के बाद यह पहली बार था जब किसी पार्टी ने अपने दम पर बहुमत हासिल किया।
- NDA-III की अवधी 2009 से 2014 तक रही।
- NDA-III मे नरेंद्र मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बने।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) – IV
- 2019 के 17वे लोकसभा चुनाव मे कुल 543 सीटो मे से भाजपा ने 303 सीटों के साथ बहुमत हासिल किया।
- कांग्रेस को इस चुनाव मे 52 सीटे मिली।
- NDA-IV मे भी नरेंद्र मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बने।
- यह सरकार 2019 से अभी भी सत्ता मे है।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) – United Progressive Alliance (UPA)
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) – I
- 2004 के 14वे लोकसभा चुनाव मे कुल 543 सीटो मे से कांग्रेस को 145 सीटे मिली।
- भाजपा को इस चुनाव मे 138 सीटे मिली।
- कांग्रेस को इस चुनाव मे पूर्ण बहुमत नही मिला तो उसने क्षेत्रीय दलो के समर्थन से और वाम दलो के बाहरी समर्थन से 2004 मे संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) का गठन किया।
- संप्रग गठबंधन मे प्रमुख पार्टी कांग्रेस है।
- संप्रग – I की अवधी 2004 से 2009 है।
- UPA-I मे डॉ. मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बने।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) – II
- 2009 के 15वे लोकसभा चुनाव मे कुल 543 सीटो मे से कांग्रेस को 206 सीटे मिली।
- भाजपा को इस चुनाव मे 116 सीटे मिली।
- UPA-II की अवधी 2009 से 2014 है।
- UPA-II मे भी डॉ. मनमोहन सिंह जी देश के प्रधानमंत्री बने।
भारतीय राजनीति: विकास और शासन के मुद्दे (New Topic)
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2014 के बाद भारतीय राजनीति में बड़ा बदलाव जाति और धर्म आधारित राजनीति से विकास और शासन उन्मुख राजनीति में बदलाव है।
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अपने पूर्व लक्ष्य सबका साथ, सबका विकास के साथ एनडीए तृतीय सरकार ने विकास और शासन को जन-जन तक सुलभ बनाने के लिए कई सामाजिक-आर्थिक कल्याणकारी योजनाएं शुरू कीं।
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जैसे-प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, स्वच्छ भारत अभियान, जन-धन योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, किसान फसल बीमा योजना, बेटी पढ़ाओ, देश बधो, आयुष्मान भारत योजना, आदि ।
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विशेषरूप से महिलाओं, केंद्र सरकार की योजनाओं के वास्तविक लाभार्थी बनाकर प्रशासन को आम आदमी के दरवाजे तक ले जाना है ।
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इन योजनाओं की सफलता को 2019 के लोकसभा चुनावों के परिणामों से देखा जा सकता है।
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जहां राज्यों-जातियों, वर्गों, समुदायों, लिंग और क्षेत्रों के मतदाताओं ने भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार के तहत विकास और शासन के मुद्दों को केंद्र स्तर पर वापस लाया, जिसमें ‘ सबका साथ, सबका विकास ‘ के साथ मौजूदा बदलावो की विशेषता है ।